निलय उपाध्याय की एक कविता
जोकर
सबसे पहले किसे जलील करते हैं जोकर ?
खुद को ।
उसके बाद किसे जलील करते हैं ?
समाजियों और नर्तकों को ।
और उसके बाद ?
उसके बाद
बहुत आक्रामक हो जाती है जोकर मुद्रा
वे हंसते हुए उतार लेते हैं
देवताओं के कपड़े ।
जो जानते हैं अश्लीलता की ताकत
और समाज में
उसे सिद्ध करने की कला
सिर्फ़ जोकर नहीं होते ।
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( नंदकिशोर नवल व संजय शांडिल्य द्वारा संपादित काव्य संकलन ‘संधि-वेला’ से साभार )