भविष्य के समाचार पत्रों में युवा विवाहित युगलों को संबोधित ऐसे विज्ञापन देखने को मिलेंगे :
‘ मातृत्व और पितृत्व के बोझ से क्यों दबें ? हमें अपने शिशु को उत्तरदायी और सफल वयस्क के रूप में बड़ा करने का अवसर दें । प्रथम श्रेणी के व्यावसायिक-परिवार का प्रस्ताव : पिता की उम्र 39 , मां की 36, दादी की 67 । चाचा और चाची, उम्र 30, साथ रहते हैं, अंशकालिक स्थानीय रोजगार में संलग्न । चार बच्चों वाली इकाई में 6 से 8 वर्ष के एक बच्चे के लिए स्थान उपलब्ध है । सरकारी मानकों से बेहतर सुव्यवस्थित आहार । सभी वयस्क बाल विकास और प्रबंधन में प्रमाणपत्रधारी हैं । जैव माता-पिता को निरंतर मेल-जोल की अनुमति । टेलीफोन संपर्क की इजाजत । बच्चा ग्रीष्मकालीन अवकाश जैव माता-पिता के साथ बिता सकता है । धर्म, कला, संगीत के प्रोत्साहन हेतु विशेष व्यवस्था । कम से कम पांच वर्ष का अनुबंध । अधिक विवरण के लिए लिखें । ‘
सामुदायिक परिवार में एक बिल्कुल अलग विकल्प दिखाई देता है । जैसे-जैसे समाज में अस्थायित्व की वजह से एकाकीपन और अजनबीपन बढ़ता जाएगा, समूह विवाह के कई रूपों का प्रचलन बढ़ने का अनुमान है । मनोविज्ञानी बी.एफ स्किनर द्वारा ‘वाल्डेन टू’ में और उपन्यासकार रॉबर्ट रिमर द्वारा ‘द हैराद एक्सपेरीमेंट एण्ड प्रोपोजीशन 31’ में किए गए वर्णन के आधार पर गढ़े हुए ‘कम्यून’ जगह-जगह दिखाई देने लगे हैं । रिमर तो गम्भीरता से ‘कॉरपोरेट परिवार’ को कानूनी मान्यता देने का प्रस्ताव रखते हैं , जिसमें तीन से छह वयस्क एक नाम अडॉप्ट करेंगे, साथ-साथ रहेंगे और साझे रूप से बच्चों का पालन-पोषण करेंगे, तथा कुछ आर्थिक व कर संबंधी सुविधाओं को प्राप्त करने के लिए कानूनी रूप से शामिलात रहेंगे ।
भविष्य में एक और प्रकार की पारिवारिक इकाई के अनुयायियों के बढ़ने की सम्भावना है, इसे ‘जेरिऐट्रिक्स कम्यून’ — वृद्धों का समुदाय — नाम दे सकते हैं । यह सहचारिता और सहयोग की साझी तलाश में एक-दूसरे के निकट आये वयोवृद्ध लोगों का सामूहिक विवाह होगा ।
ज्यों-ज्यों समलैंगिकता की सामाजिक स्वीकार्यता बढ़ती जाएगी, हमें ऐसे समलिंगी विवाहों पर आधारित परिवार भी मिलने लगेंगे जिनमें जोड़ीदार बच्चे गोद लेंगे। काम संबंधी वर्जनाओं के शिथिल होने तथा बढ़ती समृद्धि के फलस्वरूप सम्पति के अधिकारों का महत्व घटने से बहुविवाह का दमन असंगत समझा जाएगा और बहुविवाह पर प्रतिबंध क्रमश: शिथिल होते जाएंगे ।
चूंकि मानवीय संबंध अधिक अस्थाई और अल्पकालिक होते जा रहे हैं, प्रेम की खोज और अधिक उन्मादपूर्ण हो गई है । पर लौकिक प्रत्याशायें हैं कि बदलती रहती हैं । चूंकि पारम्परिक विवाह जीवन-पर्यन्त प्रेम के वादे को पूरा करने में अधिकाधिक असमर्थ साबित हो रहा है, अत: हम अस्थायी विवाहों की जनस्वीकार्यता का पूर्वानुमान कर सकते हैं । इस प्रकार के विवाह में युगल को विवाह के बंधन में बंधने के पहले ही यह पता होता है कि यह संबंध अल्पकालिक होगा ।
इस अस्थायित्व के युग में, जिसमें मानव के सभी संबंध, पर्यावरण के साथ उसके सभी जुड़ाव बहुत अल्पकालिक होते जा रहे हैं, धारावाहिक विवाह — कई अस्थायी विवाहों की श्रंखला– एकदम उपयुक्त हैं । विवाह का यह प्रतिरूप आनेवाले दिनों में मुख्य धारा में होगा । परीक्षण विवाह , मान्यताप्राप्त पूर्व-विवाह, तीन से 18 महीने के परिवीक्षाधीन विवाह — कुछ अन्य नए प्रकार के प्रायोगिक विवाह होंगे जो टॉफलर के अनुसार भविष्य में आजमाये जाएंगे ।
अति-औद्योगिक क्रांति मानव को उन कई बर्बरताओं से मुक्ति दिलाएगी जिनका जन्म कल और आज के प्रतिबंधक और अपेक्षाकृत चुनावरहित परिवार-प्रकारों से हुआ था । यह क्रांति प्रत्येक व्यक्ति को अभूतपूर्व स्वतंत्रता उपलब्ध करायेगी । पर यह इस स्वतंत्रता की मनमानी कीमत भी वसूल करेगी ।
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( टॉफ़लर की पुस्तक ‘फ्यूचर शॉक’ के आधार पर )
नवम्बर 19, 2007 को 7:28 पूर्वाह्न |
चौपट स्वामीजी नमस्कार,
इस लेख से अच्छी कल्पनाशक्ति का परिचय दिया है आपने.
एल्विन टोफ्लर के बड़े मुरीद मालुम पड़ते हैं आप!
सौरभ
नवम्बर 19, 2007 को 3:04 अपराह्न |
बड़ा अटपटा लग रहा है यह परिवार का वितान। पर और सोचूंगा तब शायद कुछ विचार बन सके।