कवि की बेधक आंखें सात परदों के भीतर का सच देख सकती हैं . कवि की जुबान पर बसती है सच्चाई . कवि के भीतर झंकृत होता है जन-गण का मन . झलकता है लोक का आलोक और उसके दुख का धूसर रंग . उसकी वाणी कहती है धरती की पीड़ा,बेजुबानों के दुख — गूंगी हो चुकी भाषा का संताप .
कवि कहता है वह सब जो होता है होशियारों के लिए अकथनीय . दुनियादारों के लिए अवर्णनीय . बिल्ली के पैने दांतों की हिंसक चमक देख कर एक कवि ही कह सकता है बिल्ली के नरभक्षी बाघ बन जाने की कहानी . एक कवि की दृष्टि गला सकती है ज्ञानगुमानी और अत्याचारी शासक के लौह-कपाटों को . उसकी सात्विक ललकार से सफ़ेद पड़ जाता है अहंकारी और उद्धत शासक की शिराओं का समूचा रक्त . कवि की आंखों में बसा है समता और स्वतंत्रता महान सपना .
कवि के लिए लाल झंडा प्रतीक है चेतना का,आतंक का नहीं . लाल झंडे से जुड़ा था एक सपना — मानव की मुक्ति का सपना . क्या हुआ उस सपने का ? कहां गिरवी रखा है वह सपना ? बदले में क्या पाया ? कल तक साथ रहे वे तपे हुए ‘विज़नरी’ साथी कहां गए ? वे कौन हैं जिनके हाथ में दिख रहा है लाल झंडा ?
यही सब सवाल छुपे हैं कवि की प्रश्नाकुल और आहत आंखों में . फ़िलहाल जवाब कहीं नहीं दिखता .
पर कवि तो प्रजापति है इस अपार काव्य संसार का . उसके पास तो सपना है — एक नई दुनिया का .
उत्तर भी होंगे ही . आशा की डोर छूटी है . टूटी नहीं है .
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नवम्बर 13, 2007 को 9:14 पूर्वाह्न |
आशा की डोर कभी नही टूट्ती……ना कभी टूटनें पाएगी…..तभी तो कवि के ह्र्दय में बैठी कोकिला…अपना गीत गाएगी।
नवम्बर 13, 2007 को 9:52 पूर्वाह्न |
कवि की आँखों को भी कवि ने देखा । बयान किया एक दर्दनाक हकीकत को।
नवम्बर 13, 2007 को 9:59 पूर्वाह्न |
सपना जब दारूण हकीक़त जैसा दिखता है- तो ऐसी तक़लीफ़ होती है। आपने सपनीली आंखों से नंदीग्राम को नया काव्य वृत्तांत दिया है। यह दुर्लभ है और लेखनी के मुजाहिरा को लोग बरसों याद रखेंगे।
नवम्बर 13, 2007 को 10:15 पूर्वाह्न |
कवि प्रजापति है, उसके पास सपने भी हैं नई दुनिया के, आशा भी है और विश्वास भी ।
नवम्बर 13, 2007 को 3:16 अपराह्न |
कवि अगर प्रश्न भर ही पूछता रहे तो भी श्रेय है। शेष तो जड़ हैं। प्रश्न भी नहीं करते। सपने तो देखते ही नहीं।
नवम्बर 13, 2007 को 4:09 अपराह्न |
सही कहा आपने।
जुलाई 14, 2012 को 8:05 अपराह्न |
वस्तव मे कवि प्रजापति है. उसके पास सपने हैं, मन में विश्वास भी है और उन्हें साकार करने की सामर्थ्य भी .