तीव्र सामाजिक परिवर्तन तथा वैज्ञानिक क्रांति को डांवांडोल करनेवाला सुपर-इण्डस्ट्रियल व्यक्ति परिवार के नए रूपों को अपनाने पर विचार करेगा तथा विविधरंगी पारिवारिक व्यवस्थाओं को आजमाएगा । इसका श्रीगणेश वे वर्तमान व्यवस्था से छेड़छाड़ द्वारा करेंगे। …पूर्व-औद्योगिक परिवारों में न केवल बहुत सारे बच्चे होते थे, वरन उन परिवारों में कई अन्य आश्रित यथा दादा-दादी, चाचा-चाची तथा चचेरे भाई-बहन आदि संबंधी भी होते थे । इस तरह के विस्तृत परिवार धीमी गति वाले कृषि-आधारित समाज़ों के लिए उपयुक्त थे । परंतु ऐसे ‘अचल’ परिवारों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाना मुश्किल होता था, अत: औद्योगिकता की मांग के अनुसार विस्तृत परिवार अपना अतिरिक्त भार त्याग कर तथाकथित ‘न्यूक्लियर’ परिवार के रूप में उभरे, जिसमें माता-पिता और कम बच्चों पर बल दिया जाने लगा । नई शैली का यह अधिक गतिशील परिवार औद्योगिक देशों का मानक आदर्श बन गया ।
परंतु आर्थिक-प्रौद्योगिकीय विकास का अगला चरण अति-औद्योगिकता का होगा । इसमें और अधिक गतिशीलता की आवश्यकता होगी । अत: हम यह आशा कर सकते है कि भविष्य के लोग संतानहीन रहकर परिवार को कारगर बनाने की प्रक्रिया को एक-कदम आगे ले जाएंगे । यह आज अजीब सा लग सकता है, परंतु जब प्रजनन का संबंध उसके जैविक आधार से टूट जाएगा तो युवा और अधेड़ दम्पतियों के संतानहीन रहने की संभावना बढ़ जाएगी । आज स्त्री व पुरुष अक्सर ‘कैरियर’ के प्रति प्रतिबद्धता तथा बच्चों के प्रति प्रतिबद्धता के द्वन्द्व के मध्य विभाजित हैं । इसलिए भविष्य में बहुत से दम्पति बच्चों के पालन-पोषण के काम को सेवानिवृत्ति तक स्थगित कर देंगे और इस समस्या से बच निकलेंगे । सेवानिवृत्ति के पश्चात बच्चों को जन्म देने वाले परिवार भविष्य की मान्य सामाजिक संस्था होंगे ।
यदि कुछ ही परिवार बच्चों का लालन-पालन करेंगे तो वे बच्चे उनके ही क्यों होने चाहिए ? ऐसी व्यवस्था क्यों न हो जिसमें व्यावसायिक दक्षता वाले माता-पिता दूसरों के लिए बच्चों का लालन-पालन करें ?
वर्तमान व्यवस्था चरमरा रही है और हम अति-औद्योगिक क्रांति से हकबकाये हुए हैं । युवा अपराधियों की संख्या में जबरदस्त बढोतरी हुई है, सैकड़ों युवा घर छोड़कर भाग रहे हैं और प्रौद्योगिक-समाज़ों के विश्वविद्यालयों में छात्र उत्पात मचा रहे हैं ।
यों युवाओं की समस्या से निपटने के कई अधिक बेहतर तरीके हैं, पर व्यावसायिक ‘पेरेन्टहुड’ को भी निश्चित रूप से आजमाया जाएगा, क्योंकि यह विशेषज्ञता की ओर समाज के समग्र प्रयास के साथ पूर्णत: मेल खाता है ।
प्रचुरता और विशेषज्ञता से सुसज्जित लाइसेन्सधारी व्यावसायिक माता-पिताओं की उपलब्धता पर कई जैविक माता-पिता न केवल खुशी-खुशी अपने बच्चे उन्हें सौंप देंगे वरन् वे इसे बच्चे के ‘बहिष्करण’ के बजाय, स्नेह के एक बरताव के रूप में देखेंगे ।
क्रमशः …
नवम्बर 12, 2007 को 2:40 अपराह्न |
परंतु आर्थिक-प्रौद्योगिकीय विकास का अगला चरण अति-औद्योगिकता का होगा । इसमें और अधिक गतिशीलता की आवश्यकता होगी ।
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मैं इसपर कुछ अलग सोचता हूं। तकनीकी व संचार के विकास अंतत: यात्रा और स्थान बदल की जरूरतें कम कर देंगे। लोग एक स्थान पर रहने लगेंगे और कुटुम्बों का एक नया युग आयेगा – भले ही उन अर्थों में या उन प्रकार से न हो जैसा हम अपने गांव में देखते आये हैं।
लोग अंतत: यात्रायें केवल मौज या पर्यटन के लिये करेने अधिकतर!
लेकिन मेरी सोच टॉफ़लर की तरह अभी थ्रू एण्ड थ्रू नहीं बनी है।
नवम्बर 13, 2007 को 5:22 पूर्वाह्न |
हां ..यही तो हैं फ्यूचर शॉक्स